गणेश जी की मजेदार कहानी | ganesh ji ki kahani

 

एक बार की बात है, भगवान गणेश जी और उनके बड़े भाई **कार्तिकेय** में एक मजेदार प्रतियोगिता हुई। दोनों भाइयों के बीच अक्सर यह सवाल उठता था कि उनमें से सबसे तेज़ कौन है। एक दिन, भगवान शिव और माता पार्वती ने एक चुनौती दी कि जो भी सबसे पहले पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाएगा, उसे विजेता घोषित किया जाएगा।

कार्तिकेय जी का वाहन **मोर** था, जो बेहद तेज़ गति से उड़ता था। वह तुरंत अपने मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल पड़े। दूसरी ओर, गणेश जी का वाहन **मूषक** (चूहा) था, जो बहुत धीमा था। सभी को लगा कि कार्तिकेय जी यह प्रतियोगिता आसानी से जीत जाएंगे।

लेकिन गणेश जी ने अपनी बुद्धिमत्ता का उपयोग किया। उन्होंने पृथ्वी की जगह अपने माता-पिता, भगवान शिव और माता पार्वती के चारों ओर तीन बार परिक्रमा कर ली। जब कार्तिकेय जी पृथ्वी की परिक्रमा कर लौटे, तो उन्होंने देखा कि गणेश जी पहले ही “अपनी पृथ्वी” की परिक्रमा कर चुके थे।

कार्तिकेय जी ने आश्चर्य से पूछा, “गणेश, तुमने तो कहीं गए ही नहीं! फिर तुमने पृथ्वी की परिक्रमा कैसे कर ली?”

गणेश जी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “माता-पिता ही हमारी संपूर्ण सृष्टि और संसार हैं। उनके चारों ओर परिक्रमा करने का मतलब है पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करना।”

भगवान शिव और माता पार्वती गणेश जी की इस बुद्धिमत्ता से बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें विजेता घोषित किया। इस प्रकार, गणेश जी ने अपनी चतुराई और ज्ञान से प्रतियोगिता जीत ली।

यह कहानी हमें सिखाती है कि केवल शारीरिक शक्ति ही नहीं, बल्कि बुद्धि और विवेक का सही उपयोग भी सफलता प्राप्त करने का महत्वपूर्ण मार्ग है।

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